Monday, December 25, 2017

"वास्तविकता"

जो दिख रहा है वो है नहीं 

     जो दिखता है असल में वह होता नहीं और जो होता है वह दिखाया नहीं जाता यही स्थिति है हमारे (भारत)  देश में, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में, रोजगार के क्षेत्र में, स्वास्थ्य व चिकित्सा के क्षेत्र में, या लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के क्षेत्र में, किसी भी क्षेत्र में देख लो आंकड़े कुछ और हैं और हकीकत कुछ और ही है। और अगर बात राजनीतिक क्षेत्र की कहीं जाए तो जमीन आसमान का फर्क है जो आंकड़े कागजों पर, मीडिया में सोशल मीडिया में या वेबसाइटों पर दिखाए जाते हैं निसंदेह काल्पनिक मात्र हैं।

असल में आज भी भारतीय राजनीति जातीय धर्म के इर्द-गिर्द ही ठहरती है।

शिक्षा -
     संपूर्ण भारत में शिक्षा को भी लगभग वर्ण व्यवस्था के आधार पर संचालित किया जा रहा है जैसे मिड डे मील योजना इस योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को भोजन दिया जाता है कौन सा भोजन नाम मात्र का जिसमें कोई क्वालिटी नहीं है अच्छा व स्वादिष्ट भोजन अधिकारी ही रख लेते हैं बच्चों तक केवल खानापूर्ति ही की जाती है। आपने भी सुना होगा और देखा होगा की मिड डे मील की कितनी सारी कंप्लेंट है जैसे दूषित खाना बासी खाना दिए जाना वह निम्न स्तर की क्वालिटी का खाना वितरण करना जिसे खाकर बच्चे अधिकतर बीमार होते हैं कई दफा अधिक संख्या में बच्चों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है।

      यह मिड डे मील शिक्षा का स्तर गिरा रहा है और यह मनुवादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। माना के बच्चे इसके सहारे स्कूल पढ़ने जाते हैं परंतु उन्हें पढ़ाया नहीं जाता केवल खाद्य सामग्री के लिए गिनती पूर्ण कराने हेतु रखा जा रहा है इससे समाज के निम्न वर्ग के लोगों का शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है क्या ये सोची समझी साजिश है जो देश को भविष्य में अच्छे प्रतिभावान छात्र मिल सकते हैं उन्हें उनके भविष्य को अंधकार में धकेला जा रहा है और देश को इस योजना के तहत गुमराह किया जा रहा है उदाहरण बहुत हैं आप Google पर सर्च  कर सकते हैं।

रोजगार -
     भारत देश में रोजगार का स्तर गिरता ही जा रहा है पिछले कुछ सालों से बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। मैं इस बात पर अापका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं की केंद्र सरकार ने हर वर्ष दो करोड़ रोजगार देने की गारंटी दी थी लेकिन वह सब ख्याली पुलाव निकला या यूं कहूं कि वह एक जुमला था तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि बीते गत वर्ष नवंबर माह में सरकार द्वारा लिया गया निर्णय नोटबंदी।

     मुझे यह नाम सुनकर नोटबंदी डर लगने लगता है क्योंकि मैं खुद इस का शिकार हुआ हूं मैंने अपना रोजगार खोया है और जहां तक मैंने अध्ययन किया है इसकी वजह से करोड़ों करोड़ों युवाओं ने अपना रोजगार खोया है अपने घर की रोजी रोटी को गवाया है।
   
1 वर्ष पूरा होने पर भी बेरोजगारी वृद्धि का स्तर बढ़ता ही जा रहा है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है यह सरकार युवाओं के साथ उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार को कतई भी चिंता नहीं है की आने वाले समय में देश किस ओर जाने वाला है अभी भी आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं की नोटबंदी से देश को कितना लॉस हुआ है कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता इतनी बड़ी मात्रा में देश को हानि हुई है।

     पढ़े-लिखे डिग्री होल्डर युवाओं को रोजगार नहीं मिला है मैं खुद इस परिस्थिति का मारा हुआ हूं लिखने को तो बहुत कुछ है पर मैं आप सभी का ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं कि सरकार हमें जो आंकड़े दिखा रही है वह कतई भी सत्य नहीं है काल्पनिक मात्र हैं देश में रोजगार की कमी है और सरकार इस क्षेत्र में विफल रही है केवल अपनी वाहवाही लूटने के लिए फर्जी आंकड़े पेश कर रही है।

स्वास्थ्य व चिकित्सा -
     अभी पिछले कुछ गत दिनों में आप सभी ने देखा होगा सुना होगा न्यूज़पेपर TV FM रेडियो मीडिया में - गोरखपुर का कांड सरकार अपनी राजनीतिक जरूरतों को ध्यान में रख रही है केवल, बाकी स्वास्थ्य चिकित्सा पर कोई भी ध्यान नहीं है गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से हुई शिशुओं की मृत्यु यह घटना झकझोर देने वाली है सरकार इस विषय पर कतई भी चिंतित नहीं है ऐसा नहीं है कि एैसा 1 दिन हुआ है कई महीनों तक स्थिति जस की तस रही।

     1 दिन में 50 50 100 100 शिशु की मृत्यु हुई है लेकिन सरकार जस की तस है यहीं नहीं पूरे देश में स्वास्थ्य चिकित्सा की स्थिति दयनीय हैं जरूरी सुविधाओं का अभाव है निम्नवर्ग के व्यक्ति को पूर्ण रुप से चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं उदाहरण अभी जल्दी में हूं एक गरीब परिवार की छोटी बच्ची की मृत्यु हो गई कारण सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे, आपने सुना ही होगा क्यों वह बेचारी बच्ची भात-भात करती मर गई। कारण पता है क्या था? उसका आधार कार्ड उसके राशन कार्ड से लिंक नहीं था इसलिए उसको राशन नहीं मिला और बेचारी भूख से ही तड़प तडप कर मर गई।

     जबकि सुप्रीम कोर्ट आधार कार्ड अनिवार्य करण को कई दफा मना कर चुका है उसके बावजूद भी केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायपालिका के आदेश को ताक पर रखकर कार्य कर रही है सरकार केवल अपने फायदे के लिए जनता का स्तेमाल कर रही है और उन्हें जरूरी स्वास्थ्य चिकित्सा सुविधाएं प्रदान नहीं करा पा रही है जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने में सरकार असमर्थ रही है।

मीडिया और सोशल मीडिया -
     इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सरकार का बहुत ही अचूक हथियार सिद्ध हो रहा है। सरकार जब चाहे तब नई फरमान लागू कर देती है और जो जरूरी सुविधाएं उन पर ध्यान नहीं देती है और यह हमारा चापलूस मीडिया जिसे मैं गोदी मीडिया बोलता हूं।
असल में मीडिया का काम - जो मुद्दे सरकार द्वारा नहीं उठाए गए और वह बहुत जरूरी भी हैं उन मुद्दों को जनता के सामने रखना है और सरकार को सूचित करना है कि यह  जरूरी कार्य किया जाना चाहिए लेकिन भारत देश में मीडिया का स्तर इतना गिर चुका है की सरकार जब चाहे जैसे चाहे वैसे आंकड़े प्रकाशित करा देती है।

      मीडिया को जनता के साथ हुई खिलवाड़ का कोई मलाल नहीं। सिर्फ अपनी कमाई की फिक्र है। मीडिया वही खबर दिखाता है जिसे उसके आका बोलते हैं हमारे देश में मीडिया पूरी तरह से बीत चुका है और जब सरकार ने सब खरीद लिया है तो जब चाहे तब जैसे चाहे वैसे न्यूज़ प्रकाशित कराती है।

     देश में कितने सारे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर मीडिया को आवाज उठानी चाहिए सरकार के खिलाफ बोलना चाहिए लेकिन भारतीय मीडिया अपाहिज हो चुका है बिक चुका है अपना अस्तित्व खो चुका है वह वही पेश करता है जिसे सरकार चाहती हैं जिसे सरकार की वाहवाही हो और सरकार की कोई बुराई न करें।

     सोशल मीडिया आज की डेट में राजनीति के क्षेत्र में ज्यादा स्तेमाल किया जा रहा है। जो सरकार में कार्यरत प्रधानमंत्री जी हैं वह सोशल मीडिया की ही देन है वर्तमान सरकार मीडिया और सोशल मीडिया को बहुत ही मजे हुए तरीके से इस्तेमाल कर रही है और जो भी इन के विरुद्ध आवाज उठाता है उसे डरा धमका कर दबा दिया जाता है धमका दिया जाता है और ना माने तो फिर मार भी दिया जाता है यही सब हो रहा है मीडिया का पूरी तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है।

     अंत में मैं इतना ही कहूंगा कि वर्तमान सरकार हर क्षेत्र में   जातिवाद को बढ़ावा दे रही है और भारतीय संविधान को ताक पर रखकर कार्य कर रही है और भगवाकरण को पनपने दे रही है या यूं कहूं पूरी तरह से सहयोग कर रही है लिखने को तो बहुत कुछ है कई घंटे लिख सकता हूं कई दिनों तक लिख सकता हूं और मुझे इतना विश्वास है कि मैं पूरे महीने भी लिख सकता हूं सरकार ने इतना कुछ गलत किया है देश के लिए लेकिन कुछ ही मुद्दे आपके सामने प्रकाशित कर रहा हूं इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है अंत में एक ही बात कहूंगा गठित रहो और संघर्ष करो।





                                                          📝
                                                  सोमवीर सिंह